चर्चे
By pareshkale on मन मोकळे from pareshkale.blogspot.com
तेरे गुरुर से भी ज्यादा चर्चे मेरे हार के थेएक पत्थरदिलसे ज्यादा चर्चे मेरे मिजाज के थेघायल हो रहा था नफरत के लफ्ज़ बरस रहे थेबहे नहीं कभी आंखोंसे चर्चे उन आसुओंके थेदोस्ती मुकम्मल की ना ही कोई वादे निभाए तेरे बेवफाई से ज्यादा चर्चे मेरे परछाई के थेसहारा दिया मयखाने ने तेरे इरादे कुछ और थेनशाथा शराबमें लेकिन चर्चे हुस्न-ए-साकी के थे