और कुछ?
By pareshkale on मन मोकळे from feedproxy.google.com
ऊन जखमोंको भरने केलीयेतुम्हारा एक आसू काफी हैपर हमने तो तुम्हे रोते देखा नहीक्या अबभी कूछ सितम बाकी है?इस इंतजार के आईनेमेतुम्हारा एक दीदार काफी हैपर हमतो बस राह देखते रह गयेक्या आज रात अमावसकी है?इस रुखी रुखी जिंदगी मेआप हमे याद करना ही काफी हैपर हम करते है इश्क बेइतहा तुमसेक्या धडकने किसीं के लिये रूकी है?